NARENDRA MODI IN DWARKA : श्री कृष्ण की नगरी द्वारका में नदी के अंदर पूजन करते नज़र आये देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

NARENDRA MODI IN DWARKA

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री कृष्ण की नगरी द्वारका में एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण दृश्य देखा। उन्होंने नदी के अंदर स्थित एक विशेष स्थान पर पूजा की, जहां उन्होंने दो स्कूबा डाइवर्स की सहायता से इस अद्भुत क्षण को मनाया। इस पूजा में, वे नदी के साथ जुड़े तात्विकता और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को साझा करने का संदेश दिया।

यह पूजा उनके आदर्शों और संवेदनशीलता का एक प्रतीक था, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति उनकी समर्पणा को दर्शाता है। उन्होंने इस मौके पर नदी के संरक्षण और सफाई के महत्व को भी उजागर किया, जो आज के समय में एक बड़ी चुनौती है। इस प्रकार, वे न केवल एक धार्मिक कार्य कर रहे थे, बल्कि एक सामाजिक संदेश को भी साझा कर रहे थे जो मानवता के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री की नदी के अंदर पूजा करते हुए तस्वीरें वाकई प्रेरणादायक हैं। उनका यह कार्य एक सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संदेश को साझा करता है। ये तस्वीरें उनके देशवासियों को प्रेरित करती हैं कि हमें अपने नदियों और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति संवेदनशीलता और संरक्षण की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। इन तस्वीरों में एक साथ श्रद्धा और पर्यावरण के प्रति समर्पण की भावना दिखाई गई है।

यह तस्वीरें समाज को सांस्कृतिक और पर्यावरणीय मूल्यों के प्रति जागरूक करती हैं और हमें अपने नदियों और प्राकृतिक संसाधनों के साथ सहयोग और समर्थन में उत्साहित करती हैं। इन तस्वीरों में एक बड़ी संदेश है कि हमें अपने प्राकृतिक आधारों की संरक्षा के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।

द्वारका नगर, भारत के पश्चिमी किनारे पर स्थित है और इसे हिंदू धर्म के महान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र माना जाता है। इस नगर की रचना मान्यताओं के अनुसार महाभारतकाल में भगवान कृष्ण द्वारा की गई थी।

पुरातत्व अध्ययनों के अनुसार, द्वारका नगर को महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने अपनी राजधानी बनाया था। महाभारत में युद्ध के बाद, कृष्ण ने द्वारका को अपनी नगरी बनाकर वहां राज्य किया था।

द्वारका के पुरातात्विक अध्ययन में मिले खंडहरों से यह प्रमाणित होता है कि इस नगर का एक समय में पानी के नीचे डूब जाना एक ऐतिहासिक घटना रही हो सकती है। इसके पीछे भगवान कृष्ण के महानायकत्व, राजा सागर और उनके सन्तानों की कथाएँ हैं, जो इस घटना को चित्रित करती हैं।

अनुसंधान के अनुसार, कालयुग के प्रारंभ में द्वारका नगर में समुद्र का पानी आया और नगर को डूबने से बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों के साथ उत्तरायण समुद्र की ओर निकला। इस घटना के बाद, द्वारका का नामांकन हो गया और यह नगर भूमिगत रूप से समुद्र में डूब गया।

इस प्रकार, द्वारका के नाम में एक महान और प्राचीन नगर की यह कहानी हमें हमारे संस्कृति और इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जागरूक कराती है।

 

Ram mandir ayodhya : अयोध्या राम मंदिर के बारे में ”दूसरा समाज” क्या कहता है

Ram mandir ayodhya : राम मंदिर का विषय भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक ऐसा टॉपिक है, जिसपर लोगों के विचार विपरीत होते हैं, लेकिन इसे कुछ इस तरह भी देखा जा सकता है:”बधाई हो! अब तो राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है! अब तो अयोध्या में भव्य मंदिर की आधारशिला रख दी गई है। लेकिन कहानी यहाँ खत्म नहीं होती, एक बार तो यहाँ पहुँचने के बाद, आया है अब मंदिर का ‘कंकर’ समय! बेशक, इसका इंतजार कर रहा है पूरा देश, कि कब तक यह ‘कंकर’ खत्म होकर ‘कमल’ बनेगा।”

मंदिर का निर्माण देख, राम-राम और रंग-रंग लगा दिए! अब तो बाबर का इस निर्माण में कोई ‘हाथ’ नहीं बचा पाएगा!”

“राम मंदिर के निर्माण के लिए अब तो सबकी आंखों में गाजर और सबके मुंह में मीठाई! खुशियां हैं लोगों के चेहरों पर और लड़ाई खत्म हो गई है, क्योंकि अब मंदिर की तस्वीर भी तो सोशल मीडिया पर आएगी!”

कुछ ऐसे ही मनोरंजन के संदर्भ में राम मंदिर को देखा जा सकता है। इसे एक प्रकार से एक दिव्य लीला के रूप में भी देखा जा सकता है, जो हमारे देश के लोगों को एकजुट करने का साधन बन सकता है।

राम मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसमें लोगों का बहुत बड़ा आत्मगौरव जुड़ा है। इस मंदिर का निर्माण अयोध्या में शुरू हो चुका है, और इसके निर्माण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।

हालांकि, राम मंदिर का पूरा निर्माण कितने समय लगेगा, यह स्पष्ट नहीं है। इसके लिए कई परिपेक्ष्य हैं, जैसे कि निर्माण की गणना, धार्मिक और सामाजिक संदेशों का महत्व, और विभिन्न अन्य कारक।

इसके बावजूद, सरकार और संगठनों ने अपनी पूरी ताकत से इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। लेकिन, इस विषय में कोई निश्चित तिथि या समय स्पष्ट नहीं है।

हम सभी भारतीयों की आशा है कि राम मंदिर का निर्माण जल्दी से पूरा हो और यह भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत का महत्वपूर्ण प्रतीक बने। लेकिन, इसके लिए हमें सभी का सहयोग और समर्थन आवश्यक है

Ram mandir ayodhya के निर्माण से एक बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। यह निर्माण उद्योग और संबंधित क्षेत्रों में लाखों लोगों को रोजगार का मौका प्रदान कर रहा है।

  1. निर्माण क्षेत्र में रोजगार: राम मंदिर के निर्माण के लिए अनेक निर्माण कंपनियों और उपकरणों की आवश्यकता है। इससे निर्माण क्षेत्र में नौकरियों की बढ़ोतरी हो रही है।
  2. लेबर कामगार: निर्माण कार्यों में शामिल होने वाले लेबर कामगारों को भी नौकरी के अवसर मिल रहे हैं। उन्हें मुख्य रूप से निर्माण कार्यों के लिए नियुक्त किया जा रहा है।
  3. हस्तशिल्पकार और कारीगर: राम मंदिर के निर्माण में मोटाई और सुंदरता की मांग के कारण हस्तशिल्पकारों और कारीगरों को भी काम का मौका मिल रहा है।
  4. पर्यटन उद्योग: राम मंदिर के निर्माण से अयोध्या और उत्तर प्रदेश के पर्यटन उद्योग में भी वृद्धि हो रही है। इससे स्थानीय लोगों को पर्यटन संबंधित उद्योगों में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।

इस प्रकार, राम मंदिर के निर्माण से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का विस्तार हो रहा है, जिससे स्थानीय और अधिक लोगों को रोजगार का लाभ मिल रहा है।

राम मंदिर के निर्माण के सम्बंध में मुस्लिम पक्ष का विचार विभिन्न हो सकता है। कुछ मुस्लिम विचारक मंदिर के निर्माण के पक्ष में हो सकते हैं, जबकि दूसरे इसके खिलाफ हो सकते हैं।

कुछ मुस्लिम विचारक मानते हैं कि धर्मनिरपेक्षता के आधार पर हर धर्मीय समुदाय को अपने धर्मीय स्थलों का सम्मान करना चाहिए। उनका मानना है कि राम मंदिर का निर्माण एक सामाजिक साझेदारी का परिणाम होना चाहिए और सामूहिक सहमति के बिना ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए।

वहीं, कुछ अन्य मुस्लिम विचारक मंदिर के निर्माण का विरोध करते हैं और इसे एक सामाजिक और राजनीतिक विवाद मानते हैं। उनका मानना है कि राम मंदिर के निर्माण से समाज में धार्मिक और सामाजिक विभाजन हो सकता है और इससे मुस्लिम समुदाय को भावनात्मक और सामाजिक रूप से असहमति का सामना करना पड़ सकता है।

सम्माननीय है कि विभिन्न समुदायों के विचारों का सम्मान किया जाए और सामरिकता और समझौते के माध्यम से सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा दिया जाए।